यह कहानी है ईर्ष्या की, मज़बूत भावनाओं का ज़ोरदार धमाका जो रोकने की लाख कोशिशों के बावजूद स्वाभाविक रूप से फूट पड़ता है। हम दिखावा करते हैं कि वह महसूस नहीं करते, पर करते हैं… आपको कभी ईर्ष्या हुई है? यह जलन या लालच की तरह नहीं होती और इसका मानसिक प्रभाव इतना गहरा होता है कि कबूलने पर भी राहत नहीं मिलती। मज़े की बात यह है कि कोई इससे अछूता नहीं रहता, जैसा इस कहानी की मुख्य पात्र बख़ूबी जानती हैं।
